मेरी याद आये तुम्हे, कोई दीप जला लेना
और दिल न माने तो, मेरी ग़ज़ले गा लेना
अच्छी है ये गफलत की तुमको साल लगेगा
अगले दिन तुम चाहो, तो मुझको भुला लेना
आंसू बन के आ जाऊं आँखों में जो कभी
फ़िक्र न करना , अपनी पल्क़े झुका लेना
ढूँढ रहा हूँ आखिर जाने कौन सा साहिल मैं
धीरे धीरे हौले हौले, मेरी नाव डूबा लेना
दिले के जैसे मेरे घर की छत भी टूटी है
अब कोई डर नहीं, तुम तूफ़ान बुला लेना|
Saturday, July 17, 2010
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