किसी की झील सी आखें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं,
किसी की फूल सी बातें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !
जो मैंने ख्वाब देखा था, उसी का साथ देखा था,
ये तनहा उजड़ी हुई रातें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !
अधूरी रात रहती है, अधूरा चाँद रहता है,
अधूरी सी ये सौगातें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !
उसी में देखना सबको, सभी में देखना उसको,
ये दिल के करामातें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !
बड़ी लम्बी जिंदगानी है, बहुत लम्बी निंभानी है
दो पल की मुलाकातें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !
वही किस्सा पुराना है, की सबको भूल जाना है,
ये भटकी हुई यादें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !
पल भर पास बैठूं, तो दिन भर मदहोश रहता हूँ,
तेरी खुशबू भरी सांसें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !