View Count

Saturday, August 22, 2009

आज आसमा चुप है

क्या बात है, आज आसमा चुप है!
चहचहे नही उठते, समां चुप है!

तुम पास और पास कोई नही
फ़िर क्यूँ, ये मेरी ज़बा चुप है!

तुमको  खो दिया खामोशियों ने मेरी
अब तुम बिन, सारा ज़हां चुप है!

आगाज़ पर नगमे कई गूंजे थे
मोहब्बत की मगर, इन्तिहाँ चुप है!

उजड़ी बस्तियों का मैंने शोर सुना
सरहद पार करता, ये कारवां चुप है!


चहचहे नही उठते समां चुप है.......

Monday, August 03, 2009

कोई ख्वाब नही

अब इस ज़िन्दगी में कोई ख्वाब नही
अब इन आखों में कोई महता़ब नही!

चन्द लम्हों का साथ तुम्हारा,
अब हाथों में तुम्हारा हाथ नही!

एक बेकरारी थी, एक बेचैनी थी
अब दिल में कोई ज़ज्बात नही!

जिसे पढ़ने को था मैं बेकरार
मेरे करीब अब वो किताब नही!

ये जेहनों-सुकून भी, मौत का संमान भी
तुम्हारे चेहरे पे, जो आज नकाब नही!