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Monday, March 28, 2011

कल चाँद देखा

मैंने हज़ार दीयों के बीच,
कल चाँद देखा,
आगे बढ़ कर जब छुआ उसे,
तो एहसास हुआ,
वो तो अक्स था झील में.

चाँद तो बहुत दूर है,
आसमा में कहीं,

और ये सफ़र मुझे
तनहा तय करना है!