View Count

Tuesday, December 28, 2010

मुझे बस, उदास शाम मत लिखना !

ख़त पर तुम, मेरा नाम मत लिखना
कुछ भी लिखना, अनजान मत लिखना !

अँधेरी रात या जलती दोपहर सही
मुझे बस, उदास शाम मत लिखना !

मेरी दीवानगी पे हंस लो जी भर
दिल पे अपने, नादान मत लिखना !

मुझे छोड़ कर तुम्हे जाना ही है
हो सके तो आखिरी, सलाम मत लिखना !

जो चाहो तुम वो सजा मंज़ूर है
बस मोहब्बत का, इल्ज़ाम मत लिखना !

लिए दिल में फिरता हूँ, मुझे याद है
"मेरे नाम का तुम क़लाम मत लिखना" !

घर मेरा जल गया दंगो में,और,
लोग कहते है, इसे सरेआम मत लिखना !