उसका मिलना, और सारी हदें तोड़ के मिलना,
अच्छा लगा मुझे, उसका हर मोड़ पे मिलना !
हाथ से हाथ मिलाता रहा ज़माना अबतक
दिल छू गया, उसका दिल जोड़ के मिलना !
ज़ख्म उसके थे और अहसास मेरे दिल के
वो पाँव के छाले, शोलों पे फोड़ के मिलना !
घर उसका, मेरे बिना भी रहता खूबसूरत
पर मेरे लिए, अपना घर तोड़ के मिलना !
काश कोई शाम आये, और लौट आये वो
याद आता है उसका गली के मोड़ पे मिलना!