ख़त पर तुम, मेरा नाम मत लिखना
कुछ भी लिखना, अनजान मत लिखना !
अँधेरी रात या जलती दोपहर सही
मुझे बस, उदास शाम मत लिखना !
मेरी दीवानगी पे हंस लो जी भर
दिल पे अपने, नादान मत लिखना !
मुझे छोड़ कर तुम्हे जाना ही है
हो सके तो आखिरी, सलाम मत लिखना !
जो चाहो तुम वो सजा मंज़ूर है
बस मोहब्बत का, इल्ज़ाम मत लिखना !
लिए दिल में फिरता हूँ, मुझे याद है
"मेरे नाम का तुम क़लाम मत लिखना" !
घर मेरा जल गया दंगो में,और,
लोग कहते है, इसे सरेआम मत लिखना !