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Saturday, June 29, 2013

sher

Nahak dosti kar ke mujhse,
tumne duniya se dushmani kar li..

Monday, September 10, 2012

Jaa raha hun



Jaa raha hun, jaa raha hun,
Tumhe chor kar, main jaa raha hun,

Apni majbooriyon ki ek saza hun,
Galatfahmi hai tumahri ki bewafa hun,
Zuban na sahi khamosh labo ki dua hun,
Apni muflasi ki keemat chuka raha hun,
Tumhe chor kar, main jaa raha hun,

Mita sako to khwabon se mita dena,
Jala sako to har tasveer jala dena,
Bhula sako to dil se bhula dena,
Main apni har amanat jala raha hun,
Tumhe chor kar, main jaa raha hun.

Ye sach hai kisi ko itella nahi,
Mere khwabon se ab talak koi mila nahi,
Hakeekat me mulakaton ka silsila nahi,
Khwabon me isliye tumko saja raha hun,
Tumhe chor kar, main jaa raha hun.

Judai ho har taraf, wasl ki raat na ho,
Kisi aur ki khatir dil me jazbaat na ho,
Khuda kare ulfat ka ab ehsaas na ho,
Sab kuch main tum par luta raha hun
Tumhe chor kar, main jaa raha hun.

Friday, June 22, 2012

Bhatakte Rehna


Tumhare khwabon ke jungalon me bhatakte rehna,
Dil ki kismat me to hai beja dhadakte rehna.


Sard raaton ke marg andheron me bhi,
Mahoo-anjum ne kaha bhoola chamakte rehna.

Apni kismat to toofan ki maari machli jaisi,
Geele sahilon pe saanson ke liye machalte rehna.

Hum jo thamenge kisi ka haath, to umr bhar ke liye,
Par jamane ki riwayat me to hai badalte rehna.

Tumhari yaad ke badal jab jab dil pe chaaye hain,
In aankhon ka lehja raha musal.sal baraste rehna.

Ye to duniya hai , bichayegi laakh kaaten,
Aye dil tu bhi magar, apni raah pe chalte rehna.


Saturday, April 07, 2012

ख्वाब देख लिए




हमने   इस  दुनिया  के  अंदाज़  देख  लिए
दोस्तों  के बेकदर जज़्बात  देख  लिए

कसूर क्या  तुम्हारा ये  गुनाह  है हमारा
हमने  खुली  आखों  से  ख्वाब  देख  लिए

दामन में   हमारे  आंसुओं  की  दौलत
दुआओं  के  असर   बेहिसाब   देख  लिए

उठता  रहा  जब  जब  तूफ़ान
हमने  कश्ती  के  अहबाब (दोस्त) देख  लिए

एक  मुसीबत  ही  है  जो  साथ  चलती  है
हमने  कई  लोगों  के  साथ  देख लिए

सजा  है  इस  बात  की  हिज्र  शायद
इन  हाथों में  हमने  वो  हाथ  देख  लिए



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Humne is duniya ke andaaz dekh liye
doston ke bekadar jazbaat dekh liye

kasoor kya tumhara ye gunah hai hamara
humne khuli aakhon se khwab dekh liye

daman me hamare aansuon ki daulat
duaon ke asar behisaab dekh liye

uthta raha jab jab toofan
humne kashti ke ahbaab(dost) dekh liye

ek musibat hi hai jo saath chalti hai
humne kai logon ke saath dekh liye

saja hai is baat ki hijr shayad
in hathon me humne wo haath dekh liye

Picture source (http://rlv.zcache.com/colorful_butterfly_painting_multi_postcard-p239706863672181336envli_400.jpg)

Saturday, March 10, 2012

शहनाई


सुहानी  रात  है  आई, तुम, मैं और तन्हाई,
बाहों में बादल की , ली चाँद ने अंगडाई!

जुल्फों ने अच्छा हुआ छुपा ली रुख की चांदनी,
वरना दिल चुरा लेती मेरा, आज तेरी रानाई ! (beauty)

तेरी मेरी उलझन क्या और नहीं फिर बढ़ जाती,
गाता  कोई  गीत, अगर बजने लगती शहनाई!

Friday, February 10, 2012

फ़िज़ूलखर्च




याद आता है एक एक पैसा, फ़िज़ूल ख़र्च किया हुआ,
जब मेरी जेब में एक भी पैसा नहीं होता !  





Picture Source: http://images01.olx.in/ui/11/38/51/1302521276_187863751_2-1-naya-paisa-of-india-Delhi.jpg




Tuesday, January 31, 2012

मुख्तलिफ

बड़ा मुख्तलिफ चेहरा था, बड़ी ज़हीन आँखें थी !
जिसे हमने चाहा था, उसकी कुछ और ही बातें थीं!

कर के दर्दमंद जो जिंदगी को, चला गया,
उसी की याद में उम्र भर, बहुत उदास रातें थीं!

लगता है शब् के फूल अब और न खिल सकेंगे 
अपने नसीब में खत्म, चाँद से मुलाकातें थीं!

सर्द रात का मंज़र नज़र से बिखर गया,
 वो ठौर आ गया जहाँ धुप की  सौगातें थीं!

 मुख्तलिफ: different
जहीन : intelligent

Picture Source: http://www.oilpaintingsonline.com/painting_images/paint_9307indian%20woman%20-Acrylic-12x18.jpg
 

रानाई

कौन आएगा यहाँ, किसके लिए  दिया जलाये बैठे हो
ये तारीकी हमसफ़र है, ये रात की रानाई हौसला है

तारीकी: darkness
रानाई: beauty


Tuesday, December 27, 2011

वो साथ चल भी सकता था

 चाहता  तो  वो साथ  चल भी सकता  था,
आख्नों  में  उसकी मगर  मखमली  नज़ारे  थे !


राहों  में  मेरी  चट्टानें   थी, तूफ़ान  थे,
आँखों  में  उसकी  सुनहरी  लहरें  और  किनारे  थे !


 साथ  मेरे चलता  तो  उसे  क्या  मिलता ,
 पैरों  तले  मेरे सिर्फ  और  सिर्फ  अंगारे  थे !


सीने  से  लगाया जिनको  समझ  के  दोस्त  ,
अस्ल   में  वही  लोग  दुश्मन  हमारे थे !


जब  भी  मुड़कर  देखा  खुद  को, तो  पाया
हम थे तनहा  , मगर  साथ  में  तुम्हारे  थे !

Thursday, October 13, 2011

दुआ

जब  दुआ  के  लिए  हाथ  उठाये ,
तो  जुड़ी  हथेलियों  की  चांदनुमा  लकीरों  में 
तुम्हे  देखा  किये 
और  दुआओं  में 
तुम्हे  माँगा  किये!

Tuesday, September 06, 2011

मुफलिसी(poverty) वो  आईना  है  जिसमे,
अपने  पराये  पहचाने  जाते  हैं

Monday, March 28, 2011

कल चाँद देखा

मैंने हज़ार दीयों के बीच,
कल चाँद देखा,
आगे बढ़ कर जब छुआ उसे,
तो एहसास हुआ,
वो तो अक्स था झील में.

चाँद तो बहुत दूर है,
आसमा में कहीं,

और ये सफ़र मुझे
तनहा तय करना है!

Monday, February 21, 2011

मुझे अच्छी नहीं लगतीं

किसी की झील सी आखें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं,
किसी की फूल सी बातें,  मुझे अच्छी नहीं लगतीं !

जो मैंने ख्वाब देखा था, उसी का साथ देखा था,
ये तनहा उजड़ी हुई रातें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !

अधूरी रात रहती है,   अधूरा चाँद रहता है,
अधूरी सी ये सौगातें,  मुझे अच्छी नहीं लगतीं !

उसी में देखना सबको, सभी में देखना उसको,
ये दिल  के करामातें,  मुझे अच्छी नहीं लगतीं ! 

बड़ी लम्बी जिंदगानी है, बहुत लम्बी निंभानी है
दो पल की मुलाकातें,  मुझे अच्छी नहीं लगतीं ! 

वही किस्सा पुराना है,  की  सबको भूल जाना है,
ये भटकी  हुई  यादें,  मुझे अच्छी  नहीं लगतीं !

पल भर पास बैठूं, तो दिन भर मदहोश रहता हूँ,
तेरी खुशबू भरी सांसें, मुझे अच्छी नहीं लगतीं !


Thursday, February 17, 2011

यूँ ही

यूँ लगता है, चाँद उभर आया है बादलों में,

काले रंग पर, सफ़ेद फूलों के प्रिंट वाला सूट,
तुम पर बहुत अच्छा लगता है!!!!!

Friday, January 28, 2011

फूल थे

फूल थे, तो सबके पैरों तले थे,
काटों की तरह, हमने चुभना सीख लिया !

Thursday, January 27, 2011

१० दिन की छुट्टियां

एक एक पल में मीलों का सफ़र तय करते हुए,
मेरे ख्वाब, बहुत पीछे छूट गए मुझसे !
और मेरे ख्याल, मेरी ही मसरूफियत की ज़ंजीरो में बंधे
अपना दम तोड़ रहे है !

अब ना तो उगता सूरज शादाब है,
और ना ही ओस की बूंदों में कोई लज्ज़त!
गुनगुनी धुप की चादर भी नहीं है,
और शाम के खुशनुमा मंज़र भी नहीं!

मोहल्ले की बाज़ार की जीनत , खो चुकी है,
और शाम की चाय एक रूटीन है,
जिसकी चुस्कियों में एक अजीब कडवाहट है!

हफ्ते में मिली एक दिन की छुट्टी में
ये सब चीज़े खोजते हुए, मुझे एहसास हुआ
मेरी मसरूफियत, मेरा ही क़त्ल कर रही है!
और, मैं ही चश्म दीद गवाह हूँ, और ,
क़त्ल का ज़िम्मेदार भी शायद !

और साल के आखिर में मिली छुट्टियों में
मुझे मालूम हुआ की,
अपने अन्दर, रोज़ मर रहे, एक शख्स को
मैं १० दिनों में जिंदा नहीं कर सकता !!

Tuesday, December 28, 2010

मुझे बस, उदास शाम मत लिखना !

ख़त पर तुम, मेरा नाम मत लिखना
कुछ भी लिखना, अनजान मत लिखना !

अँधेरी रात या जलती दोपहर सही
मुझे बस, उदास शाम मत लिखना !

मेरी दीवानगी पे हंस लो जी भर
दिल पे अपने, नादान मत लिखना !

मुझे छोड़ कर तुम्हे जाना ही है
हो सके तो आखिरी, सलाम मत लिखना !

जो चाहो तुम वो सजा मंज़ूर है
बस मोहब्बत का, इल्ज़ाम मत लिखना !

लिए दिल में फिरता हूँ, मुझे याद है
"मेरे नाम का तुम क़लाम मत लिखना" !

घर मेरा जल गया दंगो में,और,
लोग कहते है, इसे सरेआम मत लिखना !

Wednesday, November 17, 2010

'मगहर'*

घर छोड़ दिया, गली छोड़ दी, शहर छोड़ दिया
उसको याद करने वाला, हर पहर छोड़ दिया!

मुझको ना रोक सकी, मेरी माँ की सदायें
अपने ख्वाबों की खातिर 'मगहर' छोड़ दिया!

वो चंचल, निम्मी, शेखू, नदीम, दीपक,
सुना है सभी दोस्तों ने वो घर छोड़ दिया!

विरानियाँ गूंजती होंगी मुस्कुराहटों की जगह
सुना है, बारिशों ने वो शजर छोड़ दिया!

उस दरख्त पर, ना सबा, ना पत्तियां, ना समर 
मेरी खवाशिहों ने फेका हुआ पत्थर छोड़ दिया!

इससे बेहतर तो था वो बुरा भला कहता
उसने तो मुझे कुछ ना कहकर छोड़ दिया!



 *मगहर: वो क़स्बा जहाँ मैंने बचपन के चौधह बरस गुज़ारे!

Thursday, October 21, 2010

एक शेर

तुम्हारे साए ही नज़र में बसा लिए मैंने
कुछ आखों के मुक्कदर  में ख्वाब नहीं होते !!

Friday, October 15, 2010

जो मिलते थे कभी अपनों को तरह

जो मिलते थे कभी अपनों को तरह
अब बदलते है किताबों के पन्नो की तरह

कुछ हासिल हो ना हो ज़िन्दगी में मुझे
तुम मिलते हो रोज़ सपनो की तरह

ये बात तुम्हे भी हो मालूम शायद
मैं चाहता हूँ तुम्हे अपनों की तरह

तेरी ज़ुल्फ़, तेरे रुखसार, लब तेरे
सब मिलते है मुझे फ़ितनो की तरह

तुमने तोड़ दिए वादे रस्मो के लिए
मैं निभाता हूँ वादे, रस्मो की तरह

खुदा करे मैं भी भूल जाऊं तुझे
तू भूल गया जैसे मुझे कसमो की तरह