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Saturday, July 25, 2009

कोई शाम मिले

कोई सुबह मिले, रात मिले
ख्वाबों की कोई शाम मिले!

नाम बदलकर पराये मिले,
अपने तो गुमनाम मिले!

रात की बोझल पलकों पर,
बचे हुए कई काम मिले!

उनका हाल सुनाएँ क्या,
चेहरे जो बेनाम मिले!

सीता घर घर ढूंढ रही,
कोई तो उसको राम मिले!

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