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Friday, July 31, 2009

तुम हमेशा मुस्कुराती रहो

मेरी एक तम्मना है
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो
मेरी बाँहों में सही
ख्वाबों में आती रहो!

रौशनी बिखरे आंखों से
और होटों से फूल
बनके बहार तुम
ये फिजा महकती रहो!

दर्द से फासला रहे
कहीं रहे प्यास
महकती रहे बदन की डाली
तुम हमेशा बलखाती रहो!

फ़रिश्ते देखें हैरां हो
हूर तुमसे पशेमान हो
कभी चाँद बनो कभी
तारे बन झिलमिलाती रहो!

मेरी एक तम्मना है
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो ..............

2 comments:

  1. Lovely poem...gr8 demo of true luv...

    n yeah thnx for the compliment on ma poem...

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