दिल को छू ले वो हुनर, हम भी रखते है
अपनी ग़ज़लों में थोडा असर, हम भी रखते है !
झुकी निगाह पर लगते है कयास क्या क्या
जेहन में जो उतरे, वो नज़र हम भी रखते हैं!
हमने उससे कभी छाओं की आरज़ू ना की
अपने सेहन(आँगन) में एक शजर (पेड़) हम भी रखते है !
सुना है कोई सुबह शाम तेरे ख्यालों में है
थोड़ी बहुत तेरी खबर, हम भी रखते है !
बात ही कुछ ऐसी है की कह नहीं पाते
वरना हर बात मुख़्तसर, हम भी रखते है !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment