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Tuesday, January 31, 2012

मुख्तलिफ

बड़ा मुख्तलिफ चेहरा था, बड़ी ज़हीन आँखें थी !
जिसे हमने चाहा था, उसकी कुछ और ही बातें थीं!

कर के दर्दमंद जो जिंदगी को, चला गया,
उसी की याद में उम्र भर, बहुत उदास रातें थीं!

लगता है शब् के फूल अब और न खिल सकेंगे 
अपने नसीब में खत्म, चाँद से मुलाकातें थीं!

सर्द रात का मंज़र नज़र से बिखर गया,
 वो ठौर आ गया जहाँ धुप की  सौगातें थीं!

 मुख्तलिफ: different
जहीन : intelligent

Picture Source: http://www.oilpaintingsonline.com/painting_images/paint_9307indian%20woman%20-Acrylic-12x18.jpg
 

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