जो मिलते थे कभी अपनों को तरह
अब बदलते है किताबों के पन्नो की तरह
कुछ हासिल हो ना हो ज़िन्दगी में मुझे
तुम मिलते हो रोज़ सपनो की तरह
ये बात तुम्हे भी हो मालूम शायद
मैं चाहता हूँ तुम्हे अपनों की तरह
तेरी ज़ुल्फ़, तेरे रुखसार, लब तेरे
सब मिलते है मुझे फ़ितनो की तरह
तुमने तोड़ दिए वादे रस्मो के लिए
मैं निभाता हूँ वादे, रस्मो की तरह
खुदा करे मैं भी भूल जाऊं तुझे
तू भूल गया जैसे मुझे कसमो की तरह