मेरी याद आये तुम्हे, कोई दीप जला लेना
और दिल न माने तो, मेरी ग़ज़ले गा लेना
अच्छी है ये गफलत की तुमको साल लगेगा
अगले दिन तुम चाहो, तो मुझको भुला लेना
आंसू बन के आ जाऊं आँखों में जो कभी
फ़िक्र न करना , अपनी पल्क़े झुका लेना
ढूँढ रहा हूँ आखिर जाने कौन सा साहिल मैं
धीरे धीरे हौले हौले, मेरी नाव डूबा लेना
दिले के जैसे मेरे घर की छत भी टूटी है
अब कोई डर नहीं, तुम तूफ़ान बुला लेना|
Saturday, July 17, 2010
Monday, March 15, 2010
उसका मिलना
उसका मिलना, और सारी हदें तोड़ के मिलना,
अच्छा लगा मुझे, उसका हर मोड़ पे मिलना !
हाथ से हाथ मिलाता रहा ज़माना अबतक
दिल छू गया, उसका दिल जोड़ के मिलना !
ज़ख्म उसके थे और अहसास मेरे दिल के
वो पाँव के छाले, शोलों पे फोड़ के मिलना !
घर उसका, मेरे बिना भी रहता खूबसूरत
पर मेरे लिए, अपना घर तोड़ के मिलना !
काश कोई शाम आये, और लौट आये वो
याद आता है उसका गली के मोड़ पे मिलना!
Thursday, October 15, 2009
घर का दिया घर जलाये.............
घर का दिया घर जलाये तो क्या करुँ
ज़िन्दगी मुझको भूल जाए तो क्या करूँ
शाम की अदाओं में दिल नही लगता,
लाख चेहरों में वो चेहरा नही दिखता,
किस उम्मीद की करूँ उम्मीद अब
गुल ही चमन मिटाए तो क्या करूँ
घर का दिया घर जलाये.............
कोशिशों से वाबस्ता हैं फ़साने मेरे,
कुर्बान उसके आस्तां पे तराने मेरे,
मैं मुख्तसर दिन रात की तरह मगर
वो मुझे न समझ पाये तो क्या करूँ
घर का दिया घर जलाये............
वो लौट आते तो ज़िन्दगी लौट आती,
मेरी खल्वत में रौशनी तो मुस्कुराती,
मैं ले तो आया चाँद सितारे मगर
वो अपना वादा न निभाए तो क्या करूँ
घर का दिया घर जलाये............
ख़बर नही मिलती
तुम्हारे जाने की मुझे कोई ख़बर नही मिली
न कोई हिचकी, न कोई बेचैनी, और न ही कोई अहसास|
अब तो बस खाली़ आसमान है, और बंजर ज़मीन,
जो बरसो से किसी मौसम का इंतज़ार कर रही है|
रास्तों में खड़े पेड़, किसी चिड़िया के घरोंदे की आस में,
अपनी हरी पत्तियां खो चुके है,
और सुबह किसी मायूस बच्चे का चेहरा लिए हुए ,
मुझे जगा तो देती है, पर उदास ज़्यादा करती है|
रातें सारी अमावस की हैं , काली, बहुत काली,
और मेरी आवाज़ इनकी खामोशियों में गुम हो जाती है|
मेरे एहसास देखते है अब,तुम्हें जाते हुए,
ये सिलसिला, अब रोज दिखाई देता है,
बस, तुम्हारे आने की ख़बर नही मिलती|
न कोई हिचकी, न कोई बेचैनी, और न ही कोई अहसास|
अब तो बस खाली़ आसमान है, और बंजर ज़मीन,
जो बरसो से किसी मौसम का इंतज़ार कर रही है|
रास्तों में खड़े पेड़, किसी चिड़िया के घरोंदे की आस में,
अपनी हरी पत्तियां खो चुके है,
और सुबह किसी मायूस बच्चे का चेहरा लिए हुए ,
मुझे जगा तो देती है, पर उदास ज़्यादा करती है|
रातें सारी अमावस की हैं , काली, बहुत काली,
और मेरी आवाज़ इनकी खामोशियों में गुम हो जाती है|
मेरे एहसास देखते है अब,तुम्हें जाते हुए,
ये सिलसिला, अब रोज दिखाई देता है,
बस, तुम्हारे आने की ख़बर नही मिलती|
Saturday, August 22, 2009
आज आसमा चुप है
क्या बात है, आज आसमा चुप है!
चहचहे नही उठते, समां चुप है!
तुम पास और पास कोई नही
फ़िर क्यूँ, ये मेरी ज़बा चुप है!
तुमको खो दिया खामोशियों ने मेरी
अब तुम बिन, सारा ज़हां चुप है!
आगाज़ पर नगमे कई गूंजे थे
मोहब्बत की मगर, इन्तिहाँ चुप है!
उजड़ी बस्तियों का मैंने शोर सुना
सरहद पार करता, ये कारवां चुप है!
चहचहे नही उठते समां चुप है.......
चहचहे नही उठते, समां चुप है!
तुम पास और पास कोई नही
फ़िर क्यूँ, ये मेरी ज़बा चुप है!
तुमको खो दिया खामोशियों ने मेरी
अब तुम बिन, सारा ज़हां चुप है!
आगाज़ पर नगमे कई गूंजे थे
मोहब्बत की मगर, इन्तिहाँ चुप है!
उजड़ी बस्तियों का मैंने शोर सुना
सरहद पार करता, ये कारवां चुप है!
चहचहे नही उठते समां चुप है.......
Monday, August 03, 2009
कोई ख्वाब नही
अब इस ज़िन्दगी में कोई ख्वाब नही
अब इन आखों में कोई महता़ब नही!
चन्द लम्हों का साथ तुम्हारा,
अब हाथों में तुम्हारा हाथ नही!
एक बेकरारी थी, एक बेचैनी थी
अब दिल में कोई ज़ज्बात नही!
जिसे पढ़ने को था मैं बेकरार
मेरे करीब अब वो किताब नही!
ये जेहनों-सुकून भी, मौत का संमान भी
तुम्हारे चेहरे पे, जो आज नकाब नही!
अब इन आखों में कोई महता़ब नही!
चन्द लम्हों का साथ तुम्हारा,
अब हाथों में तुम्हारा हाथ नही!
एक बेकरारी थी, एक बेचैनी थी
अब दिल में कोई ज़ज्बात नही!
जिसे पढ़ने को था मैं बेकरार
मेरे करीब अब वो किताब नही!
ये जेहनों-सुकून भी, मौत का संमान भी
तुम्हारे चेहरे पे, जो आज नकाब नही!
Friday, July 31, 2009
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो
मेरी एक तम्मना है
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो
मेरी बाँहों में न सही
ख्वाबों में आती रहो!
रौशनी बिखरे आंखों से
और होटों से फूल
बनके बहार तुम
ये फिजा महकती रहो!
दर्द से फासला रहे
न कहीं रहे प्यास
महकती रहे बदन की डाली
तुम हमेशा बलखाती रहो!
फ़रिश्ते देखें हैरां हो
हूर तुमसे पशेमान हो
कभी चाँद बनो कभी
तारे बन झिलमिलाती रहो!
मेरी एक तम्मना है
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो ..............
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो
मेरी बाँहों में न सही
ख्वाबों में आती रहो!
रौशनी बिखरे आंखों से
और होटों से फूल
बनके बहार तुम
ये फिजा महकती रहो!
दर्द से फासला रहे
न कहीं रहे प्यास
महकती रहे बदन की डाली
तुम हमेशा बलखाती रहो!
फ़रिश्ते देखें हैरां हो
हूर तुमसे पशेमान हो
कभी चाँद बनो कभी
तारे बन झिलमिलाती रहो!
मेरी एक तम्मना है
तुम हमेशा मुस्कुराती रहो ..............
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